पायरिया होने का कारण लक्षणऔर घरेलू उपचार
पायरिया के लक्षण एवं 3 प्रमुख कारण और 12 प्रमुख उपाय
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जानिए पायरिया होने का कारण लक्षणऔर घरेलू उपचार,
पायरिया होने का कारण:
1. पायरिया होने का कारण शुरुआत में दांतों की ठीक से देखभाल न करने, अनियमित ढंग से जब-तब कुछ-न-कुछ खाते रहने के कारण तथा भोजन के ठीक से न पचने के कारण होता है।
2. मांसाहार तथा अन्य गरिष्ठ भोज्य पदार्थों का सेवन, पान, गुटखा, तम्बाकू आदि पदार्थों का अत्यधिक मात्रा में सेवन, नाक के बजाए मुंह श्वास लेने का अभ्यास, भोजन को ठीक से चबाकर न खाना, अजीर्ण, कब्ज आदि पायरिया होने का कारण हैं।
3. लिवर की खराबी के कारण रक्त में अम्लता बढ़ जाती है। दूषित अम्लीय रक्त के कारण दांत पायरिया से प्रभावित हो जाते हैं लिवर की खराबी भी पायरिया होने का कारण हो सकता हैं।
दोस्तों पायरिया होने का कारण आप जान गये होंगें आगे हम जानेंगे पायरिया रोग होने के लक्षण –
पायरिया रोग होने के लक्षण :
पायरिया से ग्रस्त होने पर दांत ढीले होकर हिलने लग जाते हैं। मसूढ़ों से मवाद और रक्त निकलने लगता है। दांतों पर कड़ी पपड़ियां जम जाती हैं। मुंह से दुर्गंध आने लगती है। उचित चिकित्सा न करने पर दांत कमजोर होकर गिर सकते हैं।
पायरिया रोग से बचने के लिए उपाय
पायरिया रोग से बचने के लिए जानिए यह 12 मुख्य घरेलू उपाय:
तो चलो आगे जानते हैं पायरिया का इलाज payriya ka ilaj
(1) पायरिया रोग से बचने के लिए दांतों की प्रतिदिन नियमित रूप से अच्छी तरह सफाई करनी चाहिए। भोजन करने के बाद मध्यमा अंगुली से अच्छे मंजन द्वारा दांतों को साफ करें। नीम या बबूल की दातौन खूब चबाकर उससे ब्रश बनाकर दांत साफ करने चाहिए।
(2) शौच या लघुशंका के समय दांतों को अच्छी तरह से भींचकर बैठें। ऐसा करने से दांत सदैव स्वस्थ रहते हैं।
(3) सरसों के तेल में नमक मिलाकर अंगुली से दांतों को इस प्रकार मलें कि मसूढ़ों की अच्छी तरह मालिश हो जाए।
(4) जामुन की छाल पायरिया के इलाज payriya ka ilaj के लिए बहुत उपयोगी है जामुन की छाल के काढ़े से दिन में कई बार कुल्ला करने से पायरिया रोग में फायदा होता है।
(5) नीम का तेल मसूढ़ों पर अंगुली से लगाकर कुछ मिनट रहने दें, फिर पानी से दांत साफ कर लें।
(6) फिटकरी को भूनकर पीस लें। इसका मंजन पायरिया में लाभप्रद है। फिटकरी के पानी का कुल्ला करें।
(7) सुबह-शाम पानी में नींबू का रस निचोड़कर पिएं।
(8) पालक, गाजर और गेहूं के जवारे का रस नित्य प्रति पिएं। यह अपने आप में स्वत: औषधि का कार्य करता है।
(9) भोजन के बाद दांतों में फंसे रह गए अन्न के कण को नीम आदि की दंतखोदनी द्वारा निकाल लें।
(10) जटामांसी 10 ग्राम, नीला थोथा 10 ग्राम, कालीमिर्च 5 ग्राम, लौंग 2 ग्राम, अजवाइन 2 ग्राम, अदरक सूखी 5 ग्राम, कपूर 1 ग्राम, सेंधा नमक 5 ग्राम तथा गेरू 10 ग्राम- इन वस्तुओं का समान मात्रा में महीन चूर्ण बनाकर रख लें। इससे दिन में 3 बार अंगुली से रगड़-रगड़कर देर तक अच्छी तरह से मंजन करें। यह मंजन पायरिया की अनुभूत औषधि है।
(11) अजीर्ण और कब्ज न हो- यह ध्यान रखते हुए हल्का सुपाच्य भोजन लें। रात को सोते समय हर्रे खाकर गरम दूध पीयें
(12) रात को सोते समय 10 ग्राम त्रिफला चूर्ण जल के साथ तथा दिन में 2 बार अविपत्तिकर चूर्ण का सेवन करें।
धन्यवाद
अशोक तिवारी