जठरशोथ के लक्षण, पहचानें और बचाव के उपाय जानें
जठरशोथ की बीमारी में रोगी के पेट में आमाशय के अस्तर में जलन होती है। यह जलन कभी-कभी कम या ज्यादा भी हो सकती है।अपने खान-पान तथा कुछ घरेलू देसी दवाओ का इस्तेमाल करके जठरशोथ की बीमारी को पूरी तरह से खत्म किया जा सकता है।
दोस्तों इस लेख में मैं आपको जठरशोथ बीमारी के लक्षण, कारण, और घरेलू उपचार के बारे में जानकारी देंगे। तो चलो आगे जानते हैं जठर शोध बीमारी के लक्षण के बारे में
जठरशोथ के लक्षण-
भूख की कमी, उबकाई, वमन, सिरदर्द तथा सिर चकराना आदि जठरशोथ के लक्षण होते हैं। और इसके साथ-साथ आमाशय में दर्द और जलन का अनुभव भी होता है। जठर शोध के बीमारी में मूत्र की मात्रा कम हो सकती है, तथा जीभ पर मैला-सा जमा रहता है, मुंह से बदबू आती है। और रोगी के मन में बेचैनी रहने के साथ-साथ वह अवसादग्रस्त रहता है।
जठर शोथ रोग के पुराना पड़ने पर रोगी को दिल में जलन महसूस होती है। और पेट भरा-भरा- सा लगता है। और उसे कब्ज या दस्तों की भी समस्या हो सकती है। जठरशोथ के लक्षण के बारे में आप समझ गए होंगे आगे चलो हम जानते हैं जठरशोथ बीमारी होने के क्या कारण हैं ?
जठरशोथ बीमारी का कारण-
चाय, कॉफी, शराब, तंबाकू गुटखा आदि का अत्यधिक मात्रा में इस्तेमाल करना। जरूरत से ज्यादा भोजन करने की आदत, ज्यादा तेज मिर्च-मसाले की चाट पटी, चीजें पकौड़ी, चटनी आदि का अधिक सेवन करने से भी जठर शोथ रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।
कुछ मामलों में जठर शोथ होने का कारण मानसिक कारण भी शामिल हैं- जैसे अत्यधिक ईर्ष्या या घृणा करना, शोक, भयभीत रहना, अथवा बहुत क्रोध करना, ये सभी जठर शोध के भी कारण हो सकते हैं। जटासोत के कारण आप जान गए होंगे अब आगे चलो हम जानते हैं कि जठरशोथ के लिए देसी घरेलू उपचार क्या है?
जठरशोथ के घरेलू उपचार-
जठर शोध की बीमारी से निजात पाने के लिए नीचे लिखी गई कुछ घरेलू उपचार करके जठरशोथ की बीमारी से निजात पाया जा सकता है।
जठरशोथ की बीमारी में नारियल पानी के फायदे-
जठरशोथ के रोगी को नारियल का पानी पूरे दिन पीने में इस्तेमाल करना चाहिए। इसके अलावा रोगी को नारियल पानी के अतिरिक्त उसे कुछ भी नहीं खाना चाहिए।
जठरशोथ की बीमारी में आलू के रस के फायदे-
जठरशोथ के रोगी को आलू का आधा प्याला रस निकालकर रोग की अवस्था के अनुसार दिन में दो से तीन बार तक भोजन से आधा घंटा पहले देते रहने से कुछ ही दिनों में रोगी को पर्याप्त आराम मिल जाता है।
जठरशोथ की बीमारी में गेंदे के फूल के फायदे-
जठरशोथ के रोगी को गेंदे के फूलों का एक बड़ा चम्मचभर रस उन्हें पीसने के बाद स्वच्छ कपड़े से निचोड़कर निकाल लें। रोगी को दोनों समय इस रस को एक बड़ा चम्मच भर दें। एक या दो सप्ताह में रोगी पूरी तरह रोगमुक्त हो जायेगा।
जठरशोथ के रोगी का आहार –
जठरशोथ के रोगी को खाने में खिचड़ी, दलिया, फल, हरी सब्जियां, काफी मात्रा में लें। चावल का दलिया-दिन में दो बार लेना चाहिए। चावल का दलिया एक प्याला भर खाना चाहिए इसे इतना चबाकर खाना चाहिए कि खाना द्रव रूप में बदल जाए ताकि उसमें पर्याप्त लार मिल सके। दही को अपने मुताबिक मात्रा में उपयोग कर सकते है। प्रतिदिन आठ से दस गिलास तक शुद्ध जल पीना लाभदायक रहता है। खानपान की चीजों में सुधार करके जठरशोथ की बीमारी से बहुत जल्दी से जल्दी निजात पाया जा सकता है
जठरशोथ के रोगी के लिए परहेज-
जठरशोथ के रोगी को शराब, तंबाकू, मिर्च-मसाले, अचार, तेल, चाय-कॉफी आदि हानिकारक वस्तुओं का पूरी तरह त्याग कर देना चाहिए। रोग से मुक्त होने के लिए यह आवश्यक है कि भूख लगने पर ही भोजन लें अन्यथा फलों का रस पीकर रहें। और जितनी भूख हो उससे कम खाएं। खाने को इतना चबाना जरूरी है कि वह मुंह में द्रव रूप में बदल जाए। और तले हुए भोजन, केक, मिठाई, कोल्ड ड्रिंक आदि का सेवन कादापि नहीं करना चाहिए।
खान पान के सुधार के साथ-साथ कुछ आदतें जैसे की मरीज को घृणा, क्रोध, भय, निराशा आदि की पुरानी भावनाओं को विस्तार से कागज पर लिख डालना चाहिए अथवा किसी विश्वसनीय व्यक्ति से कह देना चाहिए। जिससे आगे से इन हानिकारक भावों-विचारों से अपने आप को दूर रख सके।
जरूरी सूचना: हमारी वेबसाइट स्वास्थ्य संबंधी उपयोगी जानकारी प्रदान करती है परंतु ये जानकारी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है। आप अपने स्वास्थ्य के बारे में कोई भी निर्णय लेने से पहले आपको हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य लेनी चाहिए।
धन्यवाद
अशोक तिवारी
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