healthy life wellhealthorganic life-inhancing 9 tips

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स्वास्थ्य-रक्षा के आवश्यक नियम healthy life wellhealthorganic

आप कभी बीमार न पड़ें और सदा स्वस्थ रहें, इसके लिए यह आवश्यक है कि आपको अपने स्वास्थ्य-रक्षा के नियमों के बारे में जानकारी होनी चाहिए इस लेख में मैं स्वास्थ्य रक्षा के कुछ आवश्यक नियमों के बारे में जानकारी दूंगा। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए कुछ आयुर्वेदाचार्यों, प्राकृतिक चिकित्सकों और डॉक्टरों द्वारा अनुमोदित आवश्यक नियम प्रस्तुत करने जा रहे हैं। (healthy life wellhealthorganic)

healthy life wellhealthorganic life-inhancing 5 tips

मनोवेगों की पहचान करें-

मनोवेग दो प्रकार के होते हैं-

1. सकारात्मक

2. नकारात्मक

सकारात्मक मनोवेग व्यक्ति के आम जीवन में उसके अनुकूल जीवन शैली जीने में प्रभाव डालती है जिससे व्यक्ति का जीवन खुशहाल और आनंदमय रहता है। इसके विपरीत नकारात्मक मनोवेग होने के कारण व्यक्ति को कई प्रकार की बीमारियां तथा सामान्य जीवन शैली में कई तरह की परेशानियां आने लगती है।(healthy life wellhealthorganic)

नकारात्मक मनोवेग एक विस्तृत और अति महत्वपूर्ण विषय है  प्रत्येक व्यक्ति के शरीर और मन-मस्तिष्क की एक संगठित इकाई है। शरीर का मन पर और मन का शरीर पर प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, शरीर के किसी भी अंग में पीड़ा होने पर व्यक्ति का मन भी चिड़चिड़ा और उदास हो जाता है। और इसी प्रकार से जब मन में आशा, प्रेम या उत्साह से भरे विचार आते हैं तो शरीर में नई स्फूर्ति उत्पन्न हो जाती है।

नकारात्मक मनोवेग हमारे 60 प्रतिशत से अधिक रोगों के कारण होते हैं। अमरीका के सुप्रसिद्ध डॉक्टर और प्रतिष्ठित लेखक जे.एफ. मॉन्टेग्यू के अनुसार- “नकारात्मक मनोवेगों से पेट, हृदय, मस्तिष्क, वायु और रक्तचाप से संबंधित बीमारियां हो जाती हैं।”

मनोवैज्ञानिकों के मतानुसार- “प्रत्येक व्यक्ति वास्तव में वैसा ही बन जाता है, जैसे विचार वह अधिकांश समय तक करता रहता है।”
क्रोध, भय, निराशा, दुःख, घृणा आदि के मनोवेग शरीर पर हानिकारक प्रभाव डालते हैं और ये सब अनेक रोगों का कारण बनते हैं। अतः हमें इन मनोवेगों से बचना चाहिए।

हानिकारक मनोवेगों से बचने का उपाय-

हानिकारक मनोवेगों से बचने का पहला उपाय-

हानिकारक मनोवेगों से बचने का सर्वोत्तम उपाय है कि इनके उठते ही उन चीजों से ध्यान को हटाना है। ऐसे समय में मनोवेग के बाहरी कारणों को भूलकर आंखें बंद कर लीजिए और अपना ध्यान शरीर के तापक्रम, हृदय की गति एवं सांस के साथ-साथ नाभि के उठने-गिरने पर केंद्रित करिए। और कुछ मिनटों बाद आपका हानिकारक मनोवेग स्वयं ही समाप्त हो जाएगा।

हानिकारक मनोवेगों से बचने का दूसरा उपाय-

सकारात्मक विचार, और सकारात्मक दृष्टिकोण रखना। परमात्मा की अनंत शक्ति और दया पर विश्वास रखने से बड़े से बड़ा संकट या रोग समाप्त हो जाता है। और अब इस सच्चाई को संसार के सर्वोच्च स्तर के मनोवैज्ञानिक और चिकित्सक भी मानते हैं। अतः सदैव यह अनुभव करिए कि परम दयालु परमात्मा आपके साथ है। वह जो कुछ भी करेगा, आपकी भलाई और अच्छाई के लिए ही करेगा।

जो कुछ हो चुका, अच्छे के लिए हुआ और जो हो रहा है, उसमें आपका हित है। प्रत्येक व्यक्ति में उसी परम शक्ति परमात्मा की ज्योति जगमगा रही है और वह आपका भला चाहती है। अतः सारी चिन्ताएं तथा भय त्यागकर अपने कर्मों को पूरी कुशलता से करने में जुटे रहना चाहिए।(healthy life wellhealthorganic)

फल की चिन्ता परमात्मा को करने दीजिए और आप कर्म में लीन होने का आनंद लीजिए। सकारात्मक विचार हमारे शरीर एवं मस्तिष्क में नवीन शक्ति, उत्साह तथा स्फूर्ति का संचार करते हैं।

सतत् अभ्यास से ऐसे सकारात्मक विचार तथा दृष्टिकोण को अपनी मानसिकता का अभिन्न अंग बनाया जा सकता है। याद रखिए कि निराशावादी विचार एवं दृष्टिकोण आपको अनेक रोगों का शिकार बना सकते हैं। अतः सदैव आशा, स्वास्थ्य, सुख तथा सफलता से पूर्ण विचार रखना चाहिए।

स्वास्थ्य-रक्षा के कुछ आवश्यक नियम (healthy life wellhealthorganic)

१- जल्दी सोना, जल्दी जागना (healthy life wellhealthorganic)

भारत, अमरीका और यूरोप के डॉक्टरों ने सैकड़ों रोगियों की जीवन-शैली का अध्ययन करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि रात में जल्दी सोना एवं प्रातःकाल जल्दी जागकर नित्यकर्म से निवृत होना अनेक प्रकार के रोगों से छुटकारा दिला सकता है, विशेष रूप से पेट, आंतों और गुर्दे के रोगों से।

हमारे देश में पुराने जमाने से ब्रह्म मुहूर्त में उठकर मल-मूत्र त्यागकर योगाभ्यास, व्यायाम और संध्या आदि करने की आवश्यकता पर विशेष बल दिया जाता रहा है। आज इसका महत्व विज्ञान द्वारा भी स्वीकार किया जा चुका है।

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२- प्रातः भ्रमण (healthy life wellhealthorganic)

सुबह सूर्योदय से पूर्व आकाश से जो ब्रह्मांडीय किरणें धरती पर आती हैं, उनमें विशेष जीवनी शक्ति होती है। इसके अतिरिक्त वायुमंडल में ओषजन (ऑक्सीजन) की मात्रा बढ़ जाती है। उस समय वाहनों आदि के बहुत कम संख्या में सड़कों पर निकलने के कारण वायु प्रदूषण कम होता है अथवा नहीं होता। प्रातःकाल की वायु शीतल तथा स्फूर्ति उत्पन्न करने वाली होती है। ये सभी प्रातःकाल भ्रमण करने पर स्वास्थ्य में वृद्धि करते हैं।

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३- हंसना-हंसाना: स्वास्थ्य का खजाना (healthy life wellhealthorganic)

भारत में हुए नवीनतम प्रयोगों से यह सिद्ध हो चुका है कि शुद्ध हवा में जी खोलकर हंसने से व्यक्ति के तन-मन में नवीन स्फूर्ति तथा शक्ति का संचार होता है और रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है। दिल खोलकर हंसने से अनेक प्रकार के भयानक रोगों में लाभ मिलता है।(healthy life wellhealthorganic)

अतः अपने स्वभाव को हंसमुख बनाने का प्रयत्न करिए और नियमित रूप से हंसी के टॉनिक का उपयोग कीजिए। स्वास्थ्य एवं सौन्दर्य का इससे सरल, स्वाभाविक, सस्ता और शक्तिशाली कोई नुस्खा नहीं। इसके लिए हंसी-मजाक और चुटकलों से भरपूर पुस्तकें पढ़िए, हास्य रस की फिल्में एवं नाटक आदि देखिए।

४- सादा तथा पौष्टिक भोजन (healthy life wellhealthorganic)

अपने शरीर को तंदरुस्त रखने के लिए सादा और पौष्टिक भोजन करना आवश्यक है। भोजन में हरे साग-सब्जी, फल, अंकुरित अनाज आदि अधिक मात्रा में लीजिए और रोटी-चावल आदि कम मात्रा में इस्तेमाल कीजिए। तले हुए, बासी, अधिक मिर्च-मसाले वाले भोजन का प्रयोग मत करिए। यदि शादी-ब्याह, तीज-त्योहार आदि के मौकों पर इन वस्तुओं का प्रयोग करना पड़े तो कम-से-कम मात्रा में लीजिए।

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ऐसे अवसरों पर नीबू का पानी, अदरक, प्याज, लहसुन, धनिया, पुदीना, रायता आदि का अधिक उपयोग करिए।इससे आपको कब्ज नहीं हो पाएगा। अधिक मिठाइयां, चाट, पकौड़े, डिब्बा बंद भोजन, मक्खियां भिनकती वस्तुएं, अधिक ठंडे या अधिक गर्म पदार्थ स्वास्थ्य को हानि पहुंचाते हैं। उनका उपयोग मत करिए।

५- मांसाहार स्वास्थ्य के लिए हानिकारक (healthy life wellhealthorganic)

यूरोप और अमरीका के डॉक्टरों ने प्राचीन भारत के योगियों के इस कथन को बिल्कुल सही पाया है कि दीर्घ अवधि तक मांसाहार करने से अनेक प्रकार के घातक रोग हो जाते हैं। मनुष्य के दांतों-आंतों की संरचना एवं पाचन शक्ति के अनुसार शाकाहार उसके लिए सर्वश्रेष्ठ है। यही कारण है कि अब यूरोप व अमरीका के प्रतिष्ठित व्यक्ति भी मांसाहार त्यागकर शाकाहारी बनते जा रहे हैं।

६- शुद्ध जल, वायु तथा सूर्य-प्रकाश (healthy life wellhealthorganic)

अच्छे स्वास्थ्य के लिए यह तीनों तत्व बहुत आवश्यक हैं। शुद्ध वायु का महत्व हम ‘प्रातः भ्रमण’ शीर्षक के अंतर्गत पढ़ चुके हैं। इस सत्य पर जितना अधिक बल दिया जाए कम है कि शुद्ध वायु के ऊपर ही हमारा जीवन टिका है। अशुद्ध और प्रदूषित वायु का दूसरा अर्थ है बीमारी तथा मृत्यु।

वायु के बाद शुद्ध जल का स्थान आता है। हमारे शरीर का लगभग 70 प्रतिशत अंश किसी न किसी रूप में जल है अतः अच्छे स्वस्थ रहने के लिए शुद्ध जल का उपयोग करें।(healthy life wellhealthorganic)

सूर्य का प्रकाश (विशेष रूप से उदय और अस्त होते समय) हमारे शरीर के लिए अत्यंत लाभदायक है। सूरज की किरणों से हमारे शरीर में विटामिन ‘ए’ तथा ‘डी’ बनता है। यह शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है और हड्डियों को मजबूत बनाता है। इसके अतिरिक्त शरीर की त्वचा पर चिपके हानिकारक सूक्ष्म जीवाणुओं को नष्ट करता है। परंतु सूरज की रोशनी में एक बार में आधे घंटे से अधिक नहीं बैठना चाहिए।

यह भी ध्यान रखने योग्य है कि तेज धूप आंखों तथा शरीर को हानि पहुंचाती है। अतः सदैव प्रातः काल की धूप का ही सेवन उचित रहता है। हां, जाड़ों में या उन प्रदेशों में जहां अत्यधिक ठंड पड़ती है, धूप का सेवन दोपहर में भी किया जा सकता है परंतु यह भी अपनी आवश्यकतानुसार उचित समय तक ही।(healthy life wellhealthorganic)

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७- भोजन संबंधी सावधानियां (healthy life wellhealthorganic)

प्राकृतिक चिकित्सकों का यह मत अब धीरे-धीरे मान्यता प्राप्त करता जा रहा है कि गलत प्रकार के आहार-विहार से ही रोग उत्पन्न होते हैं। गलत और गरिष्ठ चीजों के खाने से शरीर के विकार बढ़ते हैं। साथ ही शरीर के अंदर जो विजातीय तत्व एकत्रित हो जाते हैं, उन्हें बाहर निकालने के लिए आंतरिक अंगों को बहुत परिश्रम करना पड़ता है।

इसी कारण शरीर में विभिन्न प्रकार के रोग या दर्द पैदा होते हैं। रोग या पीड़ा हमारे आंतरिक अंगों द्वारा मस्तिष्क को भेजे जाने वाले संदेश या खतरे की घंटियां हैं जो हमें सावधान करना चाहती हैं और वे हमें बताती हैं कि हम गलत आहार-विहार द्वारा अपनी शरीर रूपी मशीन पर जरूरत से ज्यादा बोझ डाल रहे हैं।(healthy life wellhealthorganic)

अतः ऐसे समय हमें अपने शरीर को आवश्यकतानुसार उपवास या विश्राम आदि देकर स्वस्थ करने का प्रयल करना चाहिए। दर्द दूर करने वाली दवाइयां लेकर अपने शरीर से कष्ट में भी कार्य करवाते रहना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक सिद्ध होता है। इसलिए जहां तक हो सके दर्द निवारक दवाइयां का सेवन कम से काम करना चाहिए।

८- टी.वी. का अधिक देखना स्वास्थ्य हेतु अहितकर (healthy life wellhealthorganic)

टी.वी. और सीडी का सदुपयोग कर हम अपने ज्ञान में वृद्धि कर सकते हैं। आज ये संचार साधन घर-घर में उपलब्ध हैं और सस्ते मनोरंजन का पर्याय हैं। परंतु अमरीका की एक संस्था द्वारा किए गए सर्वेक्षण के अनुसार (हैल्थ एंड न्यूट्रीशन पत्रिका सन् 1990 में प्रकाशित), अब यह सिद्ध हो चुका है कि अत्यधिक टी.वी. आदि देखने से आंखों और मस्तिष्क पर खराब प्रभाव पड़ता है। तथा इससे ग्रीवा, पीठ और कमर के दर्द हो सकते हैं।

विकसित देशों में टी.वी. को पहले मूर्ख बक्सा कहते थे और अब इसे मूखौँ का निर्माण करने वाला बक्सा कहा जाने लगा है। अतः केवल उपयोगी कार्यकमर्मों और स्वस्थ मनोरंजन वाले धारावाहिकों को ही देखना चाहिए। टी.वी. से कम से कम पांच मीटर दूर बैठें, कमरे में रोशनी रखें तथा बीच-बीच में उठकर इधर-उधर घूमते रहें। भोजन करते समय टी.वी. नहीं देखें क्योंकि उत्तेजक, दुःखद और हिंसक दृश्यों का मन तथा शरीर पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।(healthy life wellhealthorganic)

अमरीकी सर्वेक्षण के अनुसार, बच्चों को एक घंटे से अधिक टी.वी. नहीं देखने देना चाहिए। नियमित रूप से अधिक समय तक टी.वी. देखने से बच्चों के स्वास्थ्य पर ही खराब असर नहीं पड़ता वरन् वे उसके इतने आदी हो जाते हैं कि माता-पिता के बिना रह सकते हैं मगर टी.वी. के बिना नहीं। वयस्क लोग टी.वी. देखने के आदी हो जाने पर घर के सदस्यों की समस्याओं में रुचि लेना बंद कर देते हैं।(healthy life wellhealthorganic)

उन्हें खेल-कूद और सामाजिक कार्यों में भी रुचि नहीं रहती। इस प्रकार उनका शारीरिक, मानसिक और आर्थिक विकास रुक जाता है। परिणामस्वरूप वे बीमार और अशांत रहने लगते हैं। इसलिए टीवी को अधिक नहीं देखना चाहिए।

9- नियमित तेल मालिश और स्नान (healthy life wellhealthorganic)

नियमित तेल मालिश करने से शरीर में रक्त का संचार बढ़ता है। अनेक रोग केवल नियमित रूप से तेल मालिश करने और भली प्रकार खूब मल-मलकर नहाने से ठीक हो जाते हैं।

दोस्तों मुझे उम्मीद है की आप स्वास्थ्य रक्षा के कुछ आवश्यक नियमों के बारे में आप जान गए होंगें इनका अनुसरण अपने जिन्दगी में करें और खुशहाल जिन्दगी का आनन्द लें।

धन्यवाद

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