याददाश्त बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा
याददाश्त कमजोर होने के कारण और घरेलू उपाय
इस रोग में पढ़ा हुआ, विचार किया हुआ, अथवा किया हुआ कार्य भी याद नहीं आता है। यदि याद आता है तो बहुत देर से आता है या बहुत कम आता है। यह रोग ज्यादातर छात्र-छात्राओं को और वृद्ध लोगों को होता है। इस लेख में आज हमआपको याददाश्त बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा घरेलू उपचार के बारे में जानकारी दूंगा।
याददाश्त कमजोर होने के कारण –
याददाश्त कमजोर होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे की जो लोग क्रोध या शोक से प्रभावित होते हैं,चिन्ता या भय से ग्रस्त होते हैं, सदैव कामवासना से पीड़ित रहते हैं, संभोग अत्यधिक करते हैं, अथवा अत्यधिक पढ़ते हैं, उनकी स्मरणशक्ति कमजोर हो जाती है। और अंकुरित अनाज, दूध, दही, घी, मक्खन, फल आदि पौष्टिक पदार्थों का सेवन बहुत कम करने वालों को भी यह रोग होने का खतरा हो सकता है।
याददाश्त बढ़ाने की 5 आयुर्वेदिक दवा
रोगी को सबसे पहले यह विचार करना चाहिए कि किस कारण से उसकी स्मरण शक्ति कमजोर हो रही है। और उस कारण को दूर करने का उपाय अपनाना चाहिए। और इसके साथ-साथ ये कुछ घरेलू उपायों को अपना कर यादास्त को ठीक किया जा सकता है जो इस प्रकार है-
1- याददाश्त बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा है आवला
आंवला याददाश्त बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा के रूप में प्रयोग किया जाने वाला एकऔषधि है जो विटामिन सी का एक अच्छा स्रोत है और यह मस्तिष्क के विकास और याददाश्त बढ़ाने में सहायक होता है। आंवला में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स और अन्य पोषक तत्व मस्तिष्क की कोशिकाओं को सुरक्षित रखते हैं और तंत्रिका तंत्र की कार्यक्षमता में सुधार करते हैं।
सेवन विधि-
प्रतिदिन सुबह-शाम आंवले का एक मुरब्बा गाय के दूध के साथ सेवन करने से स्मरण शक्ति में बढ़ोतरी होती है। ध्यान रखें कि दूध गाय या बकरी का होना जरूरी है भैंस का दूध नहीं होना चाहिए। और ध्यान रहे की मधुमेह के रोगी इसको लेने से परहेज करें।
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2. ब्राह्मी से भी होगा दिमाक तेज-
ब्राह्मी याददाश्त बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा के रूप में प्रयोग किया जाने वाला एक औषधि है जो विशेष रूप से मस्तिष्क के स्वस्थ के लिए बहुत लाभदायक होती है। यह एक प्रकार की जड़ी-बूटी है जो तंत्रिका तंत्र को शांत रखती है और याददाश्त को मजबूत बनाने में सहायक है। ब्राह्मी का उपयोग मस्तिष्क की कार्यक्षमता और ध्यान को केंद्रित करने और मस्तिष्क की कार्य क्षमता को बढ़ाने के लिए किया जाता है।
सेवन विधि-
आप ब्राह्मी पावडर रस और कैप्सूल तीनो को इस्तेमाल कर सकते हो
ब्राह्मी पाउडर एक चम्मच एक कप दूध के साथ सेवन करें। और ब्राह्मी के रस का सेवन भी कर सकते हैं, जो मस्तिष्क के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होता है। इसके अलावा ब्राह्मी के कैप्सूल भी बाजार में उपलब्ध हैं।
3- नारियल तेल का उपयोग-
नारियल तेल में पाए जाने वाला मीडियम-चेन फैटी एसिड्स मस्तिष्क की ऊर्जा और कार्यक्षमता को बढ़ाने में सहायक होते हैं। ये मस्तिष्क की कोशिकाओं को आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है और स्मृति में सुधार लाते है। नारियल तेल में लॉरिक एसिड और कैप्रिक एसिड जैसे तत्व होते हैं जो मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बढ़ाते हैं।
कैसे उपयोग करें-
प्रतिदिन एक से दो चम्मच नारियल तेल का सेवन करें। इसे अपने भोजन में शामिल करें या फिर सीधे इसका सेवन करें। नारियल तेल को खाना पकाने में भी उपयोग करना भी फायदेमंद होता है।
4- यादास्त बढ़ाने के लिए करें बादाम का सेवन-
आयुर्वेद में बादाम को याददाश्त बढ़ाने के लिए एक प्राकृतिक उपाय माना जाता है। इसमें विटामिन ई, एंटीऑक्सीडेंट्स, और हेल्दी फैट्स पाए जाते हैं, जो मस्तिष्क के स्वस्थ के लिए बहुत लाभदायक हैं। इनके नियमित सेवन से मस्तिस्क में न्यूरॉन्स का संचार बेहतर होता है, जिससे मस्तिष्क की कार्यक्षमता में सुधार होता है।
सेवन विधि-
बादाम की नौ गिरियां रात को पानी में भिगों दें। सुबह इनके छिलके उतार कर अच्छी तरह बारीक पीसें। इसे गर्म दूध ( ढाई सौ ग्राम) में मिलाएं। इसके साथ आधा चाय का चम्मचभर काली मिर्च का चूर्ण और एक चम्मच शहद (शहद उस समय डालें जब दूध सामान्य तापक्रम पर आ जाए) तथा एक चाय का चम्मचभर शुद्ध देशी घी मिलाकर पी जाएं।
5- यादास्त बढ़ाने के लिए करें अश्वगंधा का सेवन-
अश्वगंधा याददाश्त बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा के रूप में प्रयोग किये जाने वाली एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जो तनाव को कम करने और मस्तिष्क के सेहत को बेहतर बनाने में सहायता प्रदान करती है। अश्वगंधा में एंटी-ऑक्सीडेंट्स होते हैं जो मस्तिष्क में फ्री रेडिकल्स को कम करते हैं। अश्वगंधा मस्तिष्क की कोशिकाओं को स्वस्थ रखने के साथ ही स्मरण शक्ति बढ़ाने में सहायक है।
सेवन विधि-
अश्वगंधा पाउडर को एक गिलास दूध में मिलाकर रात में सोने से पहले लें। इसका नियमित सेवन मस्तिष्क की सेहत को बेहतर बनाए रखने में मददगार साबित होगा।
उपरोक्त सभी उपचार नियमित रूप से एक माह तक करने से स्मरण शक्ति का विकास होने लगता है।
योग और आसनों में सर्वांगासन, हलासन और योग मुद्रा लगाने तथा प्राणायाम करने से भी स्मरण शक्ति का विकास होता है।
जरूरी सूचना: हमारी वेबसाइट स्वास्थ्य संबंधी उपयोगी जानकारी प्रदान करती है परंतु ये जानकारी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है। आप अपने स्वास्थ्य के बारे में कोई भी निर्णय लेने से पहले आपको हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य लेनी चाहिए।
धन्यवाद
अशोक तिवारी