हर्निया रोग क्या है – कारण, लक्षण, जांच और घरेलू उपचार
दोस्तों इस लेख में हम आपको हर्निया रोग क्या है हर्निया क्यों होता है हर्निया के लक्षण और हर्निया के प्रकार आदि तमाम सवालों के बारे में जानकारी दूंगा। हर्निया रोग क्या है जब किसी व्यक्ति महिला और बच्चो की मांसपेशियां कमजोर हो जाती है और मांसपेशियां के कमजोर होने के कारण उत्तक में छेद हो जाता है और शरीर के अन्दर का भाग बाहर आने लगता है उसी को हर्निया कहते है। नीचे हम इसका विस्तार से चर्चा करेंगें।
Harnia kya hai हर्निया रोग क्या है?
हर्निया एक साधारण बीमारी है इस बीमारी से पीड़ित मरीज को दैनिक दिनचर्या वाले काम जैसे चलने, दौड़ते या अन्य दूसरे कामों को करते समय दर्द का अहसास होता है। हर्निया होने की स्थिति में व्यक्ति के शरीर में मांसपेशी या ऊतक कमजोर होकर फट जाती है या उसमें छेद हो जाता है जिसके कारण उसके अंदर का अंग उभर कर बाहर आ जाता है इसी को डाक्टरी भाषा में उसे हार्नियां कहते हैं।

अधिकतर मामलों में हार्नियां की समस्या पेट में देखने को मिलता है, परन्तु यह कुछ एक मामलों में यह जांघ के ऊपरी हिस्से, कमर के आसपास और नाभि में भी हो सकता है। अधिकतर मामलों में हर्निया घातक नहीं होते हैं, परंतु इन्हें इलाज की आवश्यकता होती है।
अब प्रश्न उठता है कि हर्निया कितने प्रकार की होती है तो आगे जानते हैं हर्निया के प्रकार
हर्निया के प्रकार (Types of hernia disease)
वैसे तो हर्निया कई प्रकार के होते हैं, लेकिन हर्निया को मुख्य रूप से उन्हें 5 भागों में बांटा गया है। यह सभी प्रकार के हर्निया शरीर के अलग अलग हिस्सों में पाए जाते है। हर्निया के प्रकार निम्नलिखित हैं-
1. इनगुइनल हर्निया (Inguinal hernia)
इनगुइनल हर्निया सबसे सामान्य प्रकार का हर्निया है। एक शोध के अनुसार लगभग 70% हर्निया के मामलों में इनगुइनल हर्निया होता है।और इस स्थिति में पेट के निचले हिस्से की परत में छेद हो जाता है जिसके कारण उस हिस्से की आंत बाहर आ जाती है।
ज्यादातर मामलो में इनगुइनल हर्निया इनगुइनल कैनाल यानी जांघ नलिका के आसपास होता है। और इनगुइनल हर्निया महिलाओं के अपेछाकृत पुरुषों में अधिक देखने को मिलता है। इनगुइनल हर्निया में दर्द कम होता बल्कि इसमें कमर में सूजन व उल्टी जैसे महसूस हो सकता है
2. हाइटल हर्निया (Hiatal hernia)
हाइटल हर्निया एक आम प्रकार का हर्निया है। हाइटल हर्निया की बीमारी में पेट का हिस्सा डायाफ्राम में छाती की और फैलता है जो की खायी हुई सामग्री गले या नाक के तरफ रिफ्लक्स कर देता है, जिसके कारण सीने में जलन या गले में जलन महसूस होती है। जिसे डाक्टरी भाषा में (गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्सन) कहते है । हाइटल हर्निया ज्यादातर 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में अधिक देखने को मिलता है।
3. अम्बिलिकल हर्निया (Umbilical hernia)
अम्बिलिकल हर्नियां 6 महीने से कम उम्र के शिशु में हो सकता है। इस बीमारी की स्थिति में आंत का उभार पेट की अंदरूनी परत के माध्यम से नाभि के पास पहुंच जाता है। जब शिशु रोता है तो अम्बिलिकल हर्निया के उभार को नाभि के पास देखा जाता है। हालांकि यह बड़ी उम्र में होना भी संभव है। और यह खतरनाक नहीं माना जाता लेकिन अगर इसका इलाज जल्द न हो तो यह गंभीर रूप धारण कर कर सकता है।
अम्बिलिकल हर्निया एकमात्र ऐसा हर्निया है जो पेट की मांसपेशियां मजबूत होने पर अपने आप ही ठीक हो जाता है। अगर बच्चे की उम्र एक साल होने के बाद भी अम्बिलिकल हर्निया ठीक नहीं होता है तो डॉक्टर सर्जरी से इसका इलाज करते हैं।
4. इंसिजनल हर्निया (Incisional hernia)
इंसिजनल हर्निया का खतरा पेट में सर्जरी होने के बाद अधिक होता है। सर्जरी के दौरान जहां चीर-फाड़ की जाती है वहां और उसके आसपास की कमजोर मांसपेशियों पर इसका प्रभाव पड़ता है जिसके कारण इंसिजनल हर्निया हो सकता है। जो की बहुत दर्दनाक भी हो सकती है। ऐसे में मरीज को तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
5. स्पोर्ट्स हर्निया (Sports hernia)
पेट के निचले हिस्से और ग्रोइन में तनाव तथा किसी मुलायम उत्तक के फटने से स्पोर्ट्स हर्निया होता है।
हर्निया रोग के कारण (Causes of hernia disease)
हर्निया के कई कारण हो सकते हैं। मुख्य रूप से मांसपेशियां कमजोर होने के कारण हर्निया होता है। मांसपेशियों के कमजोर होने के मुख्य कारणों में निम्न शामिल हो सकते हैं जो आगे जाकर हर्निया का कारण बन सकते हैं:-
➤ मोटापा होना या वजन अधिक होना
➤ भारी वजन उठाना या हैवी व्यायाम करना
➤ पुरानी कब्ज होना
➤ उम्र का बढ़ना
➤ धूम्रपान करना
➤ चोट लगना
➤ पुरानी खांसी होना
➤ गर्भवती होना या मल्टीपल गर्भधारण होना
➤ जन्म के दौरान शिशु का वजन कम होना
➤ सिस्टिक फाइब्रॉइड्स होना
➤ सर्जरी के दौरान कोई जटिलता होना
➤ पेट में तरल पदार्थ जमा होना
➤ पीसीओडी होना
➤ आनुवंशिक कारण
हर्निया की बीमारी से बचने के लिए कुछ टिप्स (Hernia se bachne ke liye tips in Hindi)
1. खाना खाने के तुरंत बाद लेटे या आगे की तरफ झुके नहीं।
2. खाना पूरे दिन में छोटे छोटे टुकड़ों में खाएं। एक साथ भारी खाना कभी न खाएं।
3. रात में सोने से पहले दो से तीन घंटे पहले अपना खाना खा लें।
4. खाना खाने के बाद थोड़ा टहले।
5. यदि आपका वज़न ज़्यादा है तो अपना वज़न कम करे और खान पान पर कन्ट्रोल करें।
और पढ़ें- वजन कम करने के घरेलू उपाय
6. तम्बाकू का सेवन और धूम्रपान न करें इसे बिल्कुल त्याग दें।
7. शराब पीना बिल्कुल छोड़ दें या कम कर दें।
8. सोते समय अपने सिर को चार से छः इंच बेड से ऊपर रखें जिससे (हार्टबर्न) हृदय में जलन और एसिडिटी के लक्षणों को रोका जा सके।
9. आरामदायक और ढीले कपड़े पहने।
10. टॉयलेट बाथरूम और पेट की गैस को निकलने में ज्यादा दबाव न बनाये।
हर्निया के लक्षण (Symptoms of Hernia)
वैसे तो हर्निया के लक्षण दूसरी अन्य समस्याओं की तरह कुछ मुख्य लक्षण होते हैं जो उनकी मौजूदगी की ओर इशारा करते हैं। हर्निया के लक्षण में निम्न शामिल हो सकते हैं:-
* प्रभावित हिस्सा उभरा हुआ दिखाई पड़ना
* प्रभावित हिस्से को छूने पर हल्का दर्द होना
* शरीर में भारीपन महसूस होना
* बार बार उलटी होना भी हर्निया के लक्षण हो सकता है।
* शरीर के किसी हिस्से से चर्बी का बाहर निकलना साथ ही साथ इन सबके अलावा, उठते, बैठते या दैनिक जीवन के कामों को करते समय प्रभावित हिस्से में दर्द महसूस करना भी हर्निया के लक्षण में से एक है।
हर्निया रोग से नुकसान (Harm from hernia disease)
हर्निया के अनेक नुकसान हैं। जब आंत या वसायुक्त चर्बी का टुकड़ा हर्निया की थैली में फंस जाता है तो सूजन पैदा होती है और उत्तक में खून की आपूर्ति बंद हो जाती है। खून की आपूर्ति नहीं होने के कारण उत्तक मरने लगते हैं जिसे स्ट्रैंगुलेटेड हर्निया कहते हैं।
स्ट्रैंगुलेटेड हर्निया इतनी खतरनाक होती है की कभी- कभी स्ट्रैंगुलेटेड हर्निया के कारण मरीज की मृत्यु भी हो सकती है। यही कारण है कि इसे आपात मेडिकल देखभाल की आवश्यकता होती है। साथ ही, हर्निया का आकार बड़ा होने पर पेट और खाने की नाली विस्थापित हो सकती है।
हर्निया रोग का परीक्षण – (Diagnosis of Hernia)
हर्निया के लक्षण मिलने पर हर्निया का परीक्षण करने के लिए डॉक्टर कुछ टेस्ट करते हैं जिनमें निम्न शामिल हो सकते हैं:-
अल्ट्रासाउंड, सिटी स्कैन, एंडोस्कोपी, गैस्ट्रोग्राफिन या बेरियम एक्स-रे, एम. आर.आई.।
हर्निया की जांच करके डॉक्टर हर्निया के लक्षण और हर्निया के प्रकार से उसकी गंभीरता की पुष्टि करते हैं। उसके बाद, इलाज की प्रक्रिया शुरू करते हैं।
हर्निया रोग का इलाज- (Treatment of hernia disease)
जैसे कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि कुछ मामलों में हर्निया के इलाज की आवश्यकता नहीं होती है। कुछ समय के भीतर यह अपने आप ही ठीक हो जाता है। लेकिन कुछ घरेलू उपचार को अपना कर हम टाइटल हर्निया को काफी हद तक ठीक कर सकते हैं तो चलो आगे जानते है हर्निया का घरेलू इलाज
सिर्फ हाइटल हर्निया में ही घरेलू उपचार प्रभावकारी होता है
1. हर्निया की बीमारी को दूर करे एलोवेरा के जूस से (Hernia ko dur karne ka tarika hai aloe vera juice in Hindi) –
हाइटल हर्निया की वजह से आने वाली पाचन क्रिया में दिक्कतों के लिए एलोवेरा जूस एक प्राकृतिक घरेलू उपाय है। एलोवेरा जूस आंत की इनर लाइनिंग में आराम पहुंचाता है और पेट के निचले क्षेत्र पर होने वाले दर्द को भी दूर करता है। ये सूजन को दूर करके हृदय की जलन (हार्टबर्न) की समस्या को भी नियंत्रित करता है।
एलो वेरा का इस्तेमाल कैसे करें-
सबसे पहले आधा कप पानी में एक चम्मच ऐलोवेरा जूस को मिले और इसे खाना खाने से 40 मिनट पहले पीये।
नोट- एलोवेरा का जूस ज्यादा ना पिए ध्यान रहे दो चम्मच से ज्यादा एलो वेरा का जूस न बनाएं। इसके ज्यादा इस्तेमाल से आपको दस्त की समस्या हो सकती है।
2. हर्निया में कारगर है सेब का सिरका (Harniya main kargar hai apple vinegar in Hindi)-
सेब का सिरका हाइटल हर्निया की वजह से होने वाले लक्षणों को दूर करने में मदद करता है हाइटल हर्निया में हृदय की जलन जैसे कारण में अल्कलाइन प्रभाव का उत्पादन करता है। आगे चलो जानते हैं की
सेब के सिरके का इस्तेमाल कैसे करें ?
एक या दो चम्मच सेब के सिरके को एक ग्लास गर्म पानी में मिला दें। और अब इस मिश्रण को खाना खाने से पहले धीरे धीरे पियें।
इस मिश्रण को आप जब भी आपको सीने में जलन (हार्टबर्न) और एसिडिटी की समस्या हो तब इस मिश्रण को पियें।
3. हर्निया को ठीक करने का सरल घरेलू उपाय है बेकिंग सोडा (Hernia thik karne ka saral gharelu upay hai baking soda in Hindi) –
हार्टबर्न सीने में जलन हाइटल हर्निया का एक बहुत आम लक्षण है। बेकिंग सोडा एक प्राकृतिक एंटासिड है। जो कि ये (हार्टबर्न) सीने के जलन से जल्द राहत दिलाता है।
बेकिंग सोडा का इस्तेमाल कैसे करें ?
आधा चम्मच बेकिंग सोडा को एक ग्लास पानी में मिला दें। और अब इस मिश्रण को जल्दी पी जाएँ। जब ज़रूरत पड़े इस मिश्रण को पियें लेकिन इस मिश्रण को ज़्यादा भी पीने की कोशिश न करें क्योंकि इसकी ज्यादा पीने से शरीर पर कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
नोट – यदि आपको हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है तो आप इस उपाय को न आजमाएं।
4. हर्निया में रामबाण है दालचीनी (Hernia main ramban hai dalchini cinnamon in Hindi) –
दालचीनी को घरों में मसाले के रूप में प्रयोग किया जाता है और सिनामिक एसिड होने के कारण यह मसाला आपके पेट को आराम और राहत देने में भी मदद करता है। ये पेट के निचले क्षेत्र के दर्द और पेट फूलने की समस्या से राहत दिलाता हैं
दालचीनी का इस्तेमाल कैसे करें ?
दालचीनी को चाय के रूप में करें इस्तेमाल-
आधा चम्मच दालचीनी पाउडर को एक कप पानी गर्म पानी में मिला दें और इसे अब गर्म करें इस बर्तन को ढक कर रख दें और कुछ मिनट तक उबलते हुए रहने दे। और अब इस चाय को गर्म गर्म पीये।
पूरे दिन में दो या तीन बार इस चाय को पिये।
दालचीनी को लें अपने आहार में इस्तेमाल –
दालचीनी को अपने खाने और आहार में भी शामिल करें।
5. केमोमाइल चाय दिलाती है हर्निया रोग से छुटकारा (chamomile chay dilati hai Hernia rog se chhutkara hindi)
कैमोमाइल हाइटल हर्निया के लिए एक प्राकृतिक उपाय है। कैमोमाइल को इसके सूजनरोधी गुणों की वजह से जाना जाता है। कैमोमाइल पेट के दर्द से राहत दिलाता है और (हार्टबर्न) हृदय की जलन का इलाज करता है साथ ही साथ पाचन क्रिया की मांसपेशियों को आराम पहुंचाने में मदद करता है।
कैमोमाइल चाय का इस्तेमाल कैसे करे?
कैमोमाइल को सबसे पहले एक चम्मच एक कप पानी में मिला कर गर्म करें तथा इस बर्तन को ढक कर रख दें और पांच मिनट तक उबलते रहने दें फिर इस मिश्रण को छान लें और अब अपने स्वाद के अनुसार इसमें शहद मिलाएं धीरे-धीरे इस चाय को पियें। हाइटल हर्निया में इससे काफी राहत मिलेगी।
लेकिन जब हर्निया यह अपने आपसे ठीक नहीं होता है तो डॉक्टर हर्निया के लक्षण को देखकर सर्जरी का चयन करते हैं हर्निया का एकमात्र इलाज सर्जरी है।
सर्जरी ही हर्निया का एकमात्र इलाज है। जीवनशैली में बदलाव या दवाओं की मदद से हर्निया के लक्षण को बस कम किया जा सकता है लेकिन खत्म नहीं। सर्जरी के दौरान डॉक्टर हर्निया को बाहर निकाल देते हैं। हर्निया की सर्जरी को दो तरह से किया जाता है जिसमें ओपन सर्जरी और लेप्रोस्कोपिक सर्जरी शामिल हैं।
ओपन सर्जरी
हर्निया के इलाज में ओपन सर्जरी का तरीका बहुत पुराना है इस सर्जरी मे जो मांसपेशी ऊतक से बाहर आ जाती है उसे उसकी जगह दोबारा स्थापित कर देते है। और इस सर्जरी के बाद मरीज को 5 से 7 दिन तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ता है इसमें मरीज को सामान्य होने मे लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की तुलना में कुछ अधिक समय लग जाता है।
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी
हर्निया के सर्जरी में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी भी की प्रभावित क्षेत्र के पास छोटे छोटे चीरे देते है और लेप्रोस्कोप की मदद से और अन्य उपकरणों की सहायता से प्रभावित मासपेशी को उसकी सही जगह पुनस्थापित कर देते है। इस प्रिक्रिया मे हम कार्बोनडाइऑक्सइड और लेप्रोस्कोप को प्रभावित क्षेत्र मे भेजते है जिस से प्रभावित स्थान पूरी तरह से दिखाई देता है और सर्जरी करने मे आसानी होती है। ये सर्जरी बहुत कम समय मे हो जाती है और मरीज 48 से 56 घंटे मे घर जा सकता है। यह सर्जरी सबसे जायदा कामयाब मानी जाती है।
जरूरी सूचना: हमारी वेबसाइट स्वास्थ्य संबंधी उपयोगी जानकारी प्रदान करती है परंतु हर्निया रोग क्या है ये हर्निया क्यों होता है ये जानकारी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है। आप अपने स्वास्थ्य के बारे में कोई भी निर्णय लेने से पहले आपको हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य लेनी चाहिए।
धन्यवाद
अशोक तिवारी