महिलाओं में खून की कमी के लक्षण कारण और घरेलू उपचार
अल्प रक्तता या पाण्डु रोग
खून की कमी रक्ताल्पता या एनीमिया को ही आयुर्वेद में पाण्डु रोग कहा जाता है। इस रोग में रक्त की लाल कणिकाओं में कमी होने के साथ-साथ रुधिर वर्णिका (हीमोग्लोबिन) का स्तर भी गिर जाता है।
आज हम आपको महिलाओं मे खून की कमी, खून की कमी होने पर क्या खाए, खून की कमी से सूजन, खून की कमी से बीमारी,और खून की कमी से होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी दूंगी।
महिलाओं का शारीरिक ढांचा पुरुषों से कई मामलों में अलग है। उनके कुछ अंग अत्यंत संवेदनशील और महत्वपूर्ण हैं। इन्हीं कारणों से कुछ रोग केवल महिलाओं को ही होते हैं। यहां कुछ ऐसे रोगों की जानकारी दी जा रही है, जिन्हें घरेलू चिकित्सा द्वारा बड़ी आसानी से दूर किया जा सकता है।
महिलाओं में खून की कमी के लक्षण
चलने-फिरने अथवा परिश्रम करने पर रोगी बहुत अधिक थकान अनुभव करता है। यदि कुछ दिनों तक उसका उपचार न कराया जाए तो अग्निमांद्य, कटिशूल (कमर में दर्द), पाँवों में दर्द, आंखों के नीचे शोथ के चिह्न, कानों में अजीब-सी सुरसुराहट, स्वभाव में चिड़चिड़ापन और बार-बार थूक आने के लक्षण प्रतीत होते हैं।
महिलाओं में खून की कमी के कारण
महिलाओं में खून की कमी के कई कारण हो सकते है अत्यधिक रक्तस्राव,चोट लगना,मासिक धर्म अथवा प्रसव के समय अधिक रक्तस्राव आदि अनेक कारणों से पांडु रोग हो सकता है। संक्रामक रोग या अधिक लम्बे समय तक चलने वाले रोग के बाद तथा लौह तत्वों की कमी से भी प्रायः पाण्डु रोग होते देखा गया है।
पाण्डु रोग में चेहरा बुझ जाता है पाण्डु रोग होने पर शारीरिक शक्ति घटने के साथ त्वचा का रंग सफेद (रक्तहीन) हो जाता है। इसमें हृदय अधिक धड़कता है और पसीना बहुत आता है। थोड़ा-सा पाण्डु रोग होने पर शारीरिक शक्ति घटने के साथ त्वचा का रंग सफेद (रक्तहीन) हो जाता है
अल्प रक्तता रोग दूर करने के लिए घरेलू उपचार
अल्प रक्तता या पाण्डु रोग दूर करने के लिए निम्नलिखित घरेलू उपचार करें
१. नीम के कोमल लाल-गुलाबी रंग के पत्तों का रस निकालकर उसमें थोड़ी-सी मिश्री मिलाकर लेने से भी पाण्डु रोग शीघ्र नष्ट होता है।
२. पाण्डु रोग में शोध हो जाने पर चार सौ मि.ग्रा. पुनर्नवा मण्डूर दिन में तीन बार शहद के साथ चटाएं।
३. मण्डूर भस्म की ढाई सौ मि.ग्रा. मात्रा सुबह-शाम पुनर्नवा के काढ़े के साथ देने पर श्लैष्मिक पाण्डु रोग में लाभ होता है।
४. पाण्डु रोग में अतिसार होने पर सवा सौ मि.ग्रा. लौह पर्पटी दिन में दो बार जीरे को पानी में भिगोकर उसे छानकर पानी के साथ लें ।
५. स्त्रियों को पाण्डु रोग के साथ-साथ प्रदर होने पर ढाई सौ मि.ग्रा. बेल पर्पटी दिन में दो बार शहद के साथ सेवन करने से बहुत लाभ होता है।
६. पाण्डु रोग में शोथ होने पर भोजन के बाद पन्द्रह-बीस मि.ली. पुनर्नवासव में इतना ही जल मिलाकर पीने से शीघ्र लाभ होता है।
७. बेल के ताजे पत्तों के चार-पांच ग्राम रस में एक ग्राम काली मिर्च पीसकर उसमें मिलाकर खाने से पाण्डु रोग नष्ट होता है।
८. पाण्डु रोग में मूली उपयोगी होती है। मूली के छोटे-छोटे टुकड़े करके जामुन या गन्ने के सिरके में डाल दें। प्रतिदिन सिरके की मूली खाने से पाण्डु रोग में बहुत लाभ होता है।
९. मूली का रस निकालकर सेंधा नमक मिलाकर पीने से भी रोगिणी को शीघ्र लाभ होता है।
१०. चार सौ मि.ग्रा. नवायस लौह प्रतिदिन तीन बार शहद में मिलाकर चटाने से रोग में शीघ्र लाभ होता है।
११. मूली को ‘लवणभास्कर चूर्ण’ के साथ खाने पर भी पाण्डु रोग में लाभ होता है।
१२. नींबू तथा अदरक के रस में मूली के छोटे-छोटे टुकड़े मिलाकर खाने से पाण्डु रोग जल्दी ठीक हो जाता है।
आस्वीकरण : यह वेबसाइट स्वास्थ्य संबंधी उपयोगी जानकारी प्रदान करती है परंतु ये जानकारी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है। बताया गया यह उपचार सामान्य प्रकार के अवस्था में प्रयोग किया जा सकता है यदि समस्या गंभीर है तो किसी योग्य चिकित्सक से संपर्क करें तथा उसके परामर्श के अनुसार दवा ले
धन्यवाद
डॉ सीमा तिवारी
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